दोस्तों बढ़ते मच्छरों से परेशान होकर हम सभी इलेक्ट्रिक रैकेट का इस्तेमाल करते हैं जिससे मच्छर चुटकियों में मार जाता है पर क्या आप जानते है की आखिर यह केसे काम करता है नहीं ना? तो हम आसान भाषा में समझने की कोशिश करते है की आखिर मच्छर मारने वाला रैकेट कैसे काम करता है
मच्छर मारने वाले रैकेट के सर्किट में निम्न चार मुख्य भाग होते हैं;
1) बिजली की आपूर्ति यानी पॉवर सप्लाई सिस्टम एसी इनपुट को डीसी में परिवर्तित करती है जिससे कि बैटरी चार्ज होती है।
2) बैटरी से DC करेंट ऑक्सिलेटर सर्किट की तरफ जाता है, जो डीसी को वापस एसी में परिवर्तित करती है। परंतु इस परिवर्तित करेंट का वोल्टेज बहुत कम होता है इस लिए इसे बड़ाने की आवश्यकता होती है। इसलिए यह सप्लाई एक ट्रांफोर्मर की तरफ जाती है।
3) एक ट्रांसफार्मर जो लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में परिवर्तित करता है, जिसे आगे डायोड / कैपेसिटर Ladder नेटवर्क (नीला) द्वारा आगे बढ़ाया जाता है। इस सर्किट को Arc जनरेटर भी कहते हैं। जिससे वेल्डिंग भी की जाती है।
4) यह हाई वोल्टेज करेंट सीड़ा रैकेट की जाली से कनेक्ट होता है इस जाली के 3 भाग होते हैं middle, front, back. सप्लाई का एक तार जो सीधा middle जाली से जुड़ा होता है और दूसरा तार फ्रंट और बैक की जाली से जुड़ा होता है।
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जब मच्छर इसके पास आते हैं तो भीतर और बाहर के ग्रिड के बीच फंस जाते हैं। बाहरी ग्रिड सर्किट को पूरा करने के लिए वापसी पथ के रूप में कार्य करता है। बाहरी जाली में मच्छरों के अंदर जाने के लिए काफी बड़े छेद होते हैं। एक बार जब वे बाहर और आंतरिक ग्रिड दोनों को छूते हैं, तो एक हाई वोल्टेज शॉर्ट सर्किट विकसित होता है और एक बड़ा शॉर्ट सर्किट करंट 1 सेकंड के अंश मात्र समय के लिए उनके बीच से गुजरता है और चट की आवाज आती हैं, और मच्छर मर जाते हैं।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है की जब तक मिडल ग्रिड या जाली न छुएं, करेंट नहीं लगता यह बच्चों की सुरक्षा के लिए होता है। यह तकनीक शुरुआत में वेल्डिंग करने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। परंतु कुछ लोगो ने इसे सुरक्षा यंत्र और मच्छर मारने वाला रैकेट बना दिया।
क्या इससे करेंट लगने से इंसान मार सकता है?
नहीं. माना की यह हाई वोल्टेज करंट पर कार्य करता है परंतु यह किसी बड़े जानवर को मार नही सकता परंतु वह हिस्सा जल जाता है जोकि इसकी चपेट में आया हो।

