जैसा कि सभी जानते ही होंगे की देश में corona की महामारी से जूझ रहा है जिसके चलते देश में सेकड्री की तादाद में मृत्यु हो रही है जिससे बचने के लिए सरकार ने कोरोना वैक्सीन लगवाने की सलाह दी है पर इसे क्या साइड इफेक्ट्स को सकते है आज हम के जानकारी आपके साथ सांझा कर रहे है।
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| Credit: NDTV.com |
कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट | corona vaccine ke side effects
वैक्सीन कोई सी भी हो वो सो प्रतिशत कारगर नहीं होती और न ही पूर्ण रूप से सुरक्षित होती है वैक्सीन में कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते ही है जैसे हल्का बुखार, शरीर दर्द, टीका लगे हुए इस्थान लाल हो जाना या रसीज होना जो कुछ दिनों बाद ठीक हो जाते हैं पर कुछ लंबे समय बाद भी असर कर सकते है जो खतरनाक भी हो सकते है। इसी प्रकार कोरोना वैक्सीन के भी कुछ साधारण साइड इफेक्ट हैं जो बिल्कुल भी जानलेवा नही है जैसे बुखार, थकावट, सरदर्द, मासपेशियों में दर्द, ठंड लगना, दस्त, और टीका लगे स्थान में दर्द इत्यादी जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते है जोकि आम बात है। पर कोविद 19 वैक्सीन उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है जिनका रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर हो या किसी अन्य बीमारी जैसे टीवी या एचआईवी एड्स से ग्रसित हो। लंबे समय बाद Covid 19 वैक्सीन क्या दिक्कत दे सकती है इसका कोई प्रमाण अभी नहीं मिला है
क्या वैक्सीन लेना अनिवार्य है?
कोरोना टीकाकरण स्वैच्छिक है। हालांकि, अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए सभी को वैक्सीन की दोनों डोज लगवानी चाहिए। पर यदि आप वैक्सीन न लगवाने से आपको कुछ सरकारी सेवा या निजी सेवा का लाभ मिलना मुस्किल हो सकता है व देश से बाहर जाना मुस्कील होगा
क्या कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है?
हां, कोरोना वैक्सीन लोगों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। इसकी सुरक्षा और प्रभावकारिता के आधार पर राष्ट्रीय नियामक से मंजूरी मिलने के बाद ही देश में आज से टीकाकरण शुरू हो रहा है।
वैक्सीन से मौत होने पर कोन होगा जिम्मेदार
सरकार की मानें तो यदि वैक्सीन से किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट्स या मौत होने पर सरकार की कोई जवाबदेही नही होगी, व्यक्ति खुद जिम्मेदार होगा, क्युकी करोना वैक्सीन को सरकार में आपातकालीन स्थिति में जारी किया है।
क्या कोरोना वायरस से ठीक हुए व्यक्ति को टीका लगवाना जरूरी है?
हां, कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति को भी टीका लगवाने की जरूरत है। कोरोना वैक्सीन बीमारी के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करता है।
उपलब्ध टीकों में से एक या इससे अधिक को कैसे चुना जाता हैं?
टीका बनाने वाली कंपनियों द्वारा किए गए नैदानिक परीक्षणों और उससे प्राप्त डेटा की जांच के बाद ही दवा नियामक द्वारा मंजूरी दी जाती है।

